मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में हाईकोर्ट ने इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है। मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पर करीब आठ महीने पहले सिंह को निलंबित कर दिया गया था। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस एससी शर्मा ने निगम को उनका वेतन और अन्य बकाया का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है।
जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता को 23 सितंबर 2019 की उनकी निलंबन तिथि से लेकर 45 दिन की अवधि तक जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी और इस अवधि के बाद उन्हें पूरा वेतन पाने का अधिकार होगा। सिंह ने निलंबन आदेश की मौजूदा वैधता को यह कहते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि नियमों के मुताबिक आईएमसी को इस कार्रवाई के 45 दिन के भीतर उन्हें विभागीय जांच के तहत आरोप पत्र प्रदान करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साथ ही याचिका में यह भी कहा था कि हनीट्रैप के आपराधिक मामले में वह शिकायतकर्ता हैं, लेकिन आईएमसी उनके साथ ‘आरोपी’ की तरह बर्ताव कर रहा है।
पुलिस ने सिंह की ही शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनीट्रैप गिरोह का खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। आईएमसी अधिकारी ने पुलिस को बताया था कि इस गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी। ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार की गई थी। हनी ट्रैप मामले के खुलासे के तत्काल बाद आईएमसी ने अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में सिंह को निलंबित कर दिया था।