नई दिल्ली: मास्क और फेस शील्ड का इस्तेमााल इन दिनों हेल्थकेयर वर्कर के अलावा आम लोग भी संक्रमण से बचने के लिए कर रहे हैं। लेकिन एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि मास्क और फेस शील्ड एक दूसरे के पूरक हैं, यह एक दूसरे का विकल्प नहीं हैं। मास्क जरूरी है, ऊपर से फेस शील्ड पहनने पर एक्सट्रा सुरक्षा हो जाती है। इसलिए घर से बाहर निकलने पर संक्रमण से बचना है तो मास्क जरूर लगाएं, लेकिन अगर कोई हेल्थकेयर में है तो उन्हें मास्क व फेस शील्ड दोनों लगाना जरूरी है।
एम्स ट्रॉमा सेंटर की लेबोरेट्री मेडिसिन की प्रोफेसर डॉ. पूर्वा माथुर ने बताया कि मास्क सांस के जरिए बॉडी के अंदर वायरस को जाने से रोकता है। यह नाक व मुंह दोनों को कवर करता है, जिससे सांस के जरिए वायरस अंदर नहीं जा सकता है। इसलिए मास्क ऐसा पहना जाता है जो पूरी तरह से मुंह व नाक दोनों को कवर करे और फिट बैठे। लेकिन, मास्क नाक व मुंह को कवर करता है, पूरा फेस व आंख खुली रहती है। ऐसे में फेस शील्ड का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि किसी के करीब जाने पर बोलने के दौरान हवा में निकलने वाले ड्रॉपलेट्स सामने वाले के चेहरे पर न आएं। इस खतरे को कम करने के लिए फेस शील्ड जरूरत होती है।
डॉक्टर पूर्वा ने कहा कि फेस शील्ड साइड से खुली होती है, इससे संक्रमित हवा अंदर सांस के जरिए जा सकती है। इसलिए कोविड संक्रमण से बचाव के लिए केवल शील्ड पहनना पर्याप्त नहीं है। इस बारे में एम्स के पूर्व डॉक्टर व अब मास्क, पीपीई व फेस शील्ड के निर्माण में जुड़े डॉ. राजीव विशिष्ठ ने कहा कि सिर्फ फेस शील्ड का इस्तेमाल मास्क का विकल्प नहीं हो सकता है। मास्क तो हर हाल में कोविड संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है। लेकिन कई जगह यह जरूरी है, जिसमें अस्पताल शामिल हैं। क्योंकि जब डॉक्टर या अन्य स्टाफ सामने वाले से बात करते हैं तो सामने वाले के मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स के साथ वायरस बाहर आ सकता है और मास्क के बाद भी फेस का अधिकांश हिस्सा खुला रहता है, जहां पर वायरस चिपक सकता है। इसलिए हेल्थ केयर वर्कर के लिए मास्क के अलावा फेस शील्ड जरूरी है।