वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को आर्थिक पैकेज के तहत दूसरी किस्त का ब्यौरा दिया। सबसे महत्वपूर्ण घोषणा गरीबों के लिए हुई जिनके लिए वन नेशन वन राशन कार्ड की योजना लागू करने की बात कही गई। वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना अगस्त 2020 तक लागू होगी। इससे देश के किसी भी हिस्से में डिपो से राशन ले सकते हैं। मार्च 2021 तक शत प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी कर ली जाएगा।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने ‘एक देश-एक राशन कार्ड' प्रणाली की ओर आगे बढ़ने की घोषणा की। इस प्रणाली के आरंभ होने पर लाभार्थी देश में कहीं भी किसी भी राशन की दुकान से अपने कोटे का अनाज ले सकते हैं। प्रवासियों के लिये यह यह प्रणाली अत्यंत उपयोगी साबित होगी। इस योजना के लाभों को जानने के लिये मूल्य श्रृंखला में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यकरण को समझना महत्त्वपूर्ण है।
वन नेशन, वन राशन कार्ड की खास बातें
गरीब प्रवासी मजदूर इस योजना के तहत देश के किसी भी उचित मूल्य की दुकान से राशन प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिए राशन कार्ड का आधार से लिंक होना आवश्यक है।
प्रवासी सिर्फ केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी प्राप्त करने के योग्य होंगे।
तीन रुपये प्रति किलोग्राम चावल तथा दो रुपये प्रति किलोग्राम गेंहू मिलेगा।
यह स्कीम 77 प्रतिशत राशन की दुकानों पर लागू की जा सकती है।
इस योजना को लागू करने का मूल उद्देश्य यह है कि देश का कोई भी गरीब व्यक्ति सब्सिडी आधारित खाद्यों से वंचित न रहे। यह योजना 77 प्रतिशत राशन की दुकानों पर लागू की जा सकती है। जहां पहले से ही पीओएस मशीन उपलब्ध है, साथ ही यह योजना उन 85 प्रतिशत लाभार्थियों को भी कवर करेगी जोराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आते हैं एवं उनके राशन कार्ड आधार से लिंक हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम- 2013
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जनता को पोषक खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। खाद्य सुरक्षा विधेयक का खास जोर गरीब-से-गरीब व्यक्ति, महिलाओं और बच्चों की जरूरतें पूरी करने पर है।
इस कानून के तहत व्यवस्था की गई है कि लाभार्थियों को उनके लिए निर्धारित खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिये खाद्यान्न की आपूर्ति न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में लागू किया गया। पूरे देश में यह कानून लागू होने के बाद 81.34 करोड़ लोगों को दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं और तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल दिया जा रहा है।
एक से अधिक राशन कार्ड रखने पर रोक लगाना
वन नेशन, वन राशन कार्ड प्रणाली प्रवासियों के प्रति उत्तरदायित्व से संबंधित है। लाभार्थियों की पहचान करने के कार्य में भारी लागत आती है फिर इसमें कई लोग शामिल होने से छूट जाते हैं। किसी भी प्रवासी को अपना निवास स्थान बदलने के बाद उसे पुनः अपनी पहचान स्थापित करने में मुश्किलों का सामना रना पड़ता है। चूंकी भारत में लोग रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरे जगह जाते हैं। इसलिए वन नेशन, वन राशन कार्ड उनके लिए लाभदायक होगी।
यदि इसके तहत प्रत्येक सदस्य के हिस्से का राशन किसी भी स्थान से प्राप्त करने का प्रावधान कर दिया जाए तो यह परिवारों को और अधिक लाभ पहुंचा सकता है। इससे प्रवासी सदस्य किसी भी जगह पर राशन प्राप्त कर सकेंगे, जबकि उनका परिवार अपने गांव में अपने हिस्से का राशन प्राप्त कर सकता है।
इसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों से लाभ उठाने के लिए एक से अधिक राशन कार्ड रखने पर रोक लगाना है , जिससे वास्तविक लाभ जरूरत मंद व्यक्ति तक पहुंच पाएगा। यह योजना लोगों की खाद्य आवश्यकता के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए हर राज्य के अपने नियम हैं। यदि यह योजना लागू की जाती है, तो पहले से ही दूषित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार और अधिक बढ़ सकता है। कुछ राज्यों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह संघवाद के खिलाफ है। इससे लागत बढ़ने की भी संभावना है। राशन की दुकानों पर अधिक भीड़ के कारण स्टॉक खत्म हो सकता है तथा लाभार्थियों को परेशानी हो सकती है।
‘एक देश-एक राशन कार्ड’ का एक पहलू ये भी
राशन का वितरण स्थानीय स्तर पर उचित मूल्य की दुकानों द्वारा किया जाता है। एक अध्ययन में तीन राज्यों बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों ने डीलरों द्वारा भेदभाव की शिकायत की। यह भेदभाव विशेष रूप से महिलाओं के विरुद्ध और गुणवत्तायुक्त सेवाए प्रदान करने के संदर्भ में नजर आता है।
वन नेशन, वन राशन कार्ड लाभार्थियों को अपने पसंद के डीलर को चुनने का अवसर देगा। यदि कोई डीलर बुरा व्यवहार करता है या राशन के आवंटन में गड़बड़ी करता है तो लाभार्थी तुरंत किसी अन्य एफपीएस की सेवा ले सकता है।
इसके अतिरिक्त कमजोर समूहों के लिए सेवाओं की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से निम्न प्रकृति की होती है। जहां सूचना की कमी, खराब अनाज एवं मिलावट, लंबी प्रतीक्षा अवधि आदि के रूप में भेदभाव के विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं और कई बार अपशब्दों का प्रयोग कर उन्हें अपमानित भी किया जाता है।
इसके साथ ही इन परिवारों के अधिकारों का हनन किया जाता है जैसे उन्हें निर्धारित मात्रा व गुणवत्ता का अनाज न मिलना या अधिक मूल्य चुकाना आदि। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रतिस्पर्द्धा के माध्यम से सुधार लाने की आवश्यकता है। ‘एक देश-एक राशन कार्ड’ योजना सौदेबाजी की शक्ति को डीलर से लाभार्थी की ओर मोड़ सकती है।