एथलेटिक्स कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता जोगिंदर सिंह सैनी का 90 वर्ष की उम्र में रविवार को निधन हो गया। रविवार को ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। सैनी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। सैनी को भारत के कुछ प्रतिष्ठित ट्रैक एवं फील्ड खिलाड़ियों को निखारने का श्रेय जाता है। वह 1970 से 1990 के दशक के बीच कई वर्षों तक राष्ट्रीय एथलेटिक्स टीम के मुख्य कोच रहे।
एएफआई अध्यक्ष आदिले सुमारिवाला ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि मुझे अपने साथी, अपने मुख्य कोच और मेंटर जेएस सैनी के निधन की खबर सुनकर बेहद दुख हुआ। उन्हें एथलेटिक्स से प्यार था और अपने अंतिम दिन तक उन्होंने भारतीय एथलेटिक्स महासंघ को योगदान दिया। वह मेरे मित्र और मार्गदर्शक थे और अपनी सलाह से एएफआई अध्यक्ष की मेरी भूमिका में उन्होंने काफी मदद की।
होशियारपुर में जन्मे थे
भारतीय एथलेटिक्स में योगदान के लिए सैनी को 1997 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा गया। वह 1978 एशियाई खेलों में आठ स्वर्ण सहित 18 पदक जीतने वाली भारतीय टीम के मुख्य कोच थे। 'सैनी साहब' के नाम से मशहूर सैनी 2004 तक कोचिंग से जुड़े रहे।
इन दिनों सैनी एएफआई में सलाहकार की भूमिका निभा रहे थे। सैनी ने 1962 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले गुरबचन सिंह रंधावा को डेकाथलन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा उन्होंने दिग्गज मैराथन धावक शिवनाथ सिंह को भी ट्रेनिंग दी।