राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास स्थित नींदड़ गांव में जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने सोमवार को 'जमीन समाधि सत्याग्रह' आंदोलन किया। राजधानी के बाहरी इलाके में स्थित नींदड़ गांव के किसान जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के संदर्भ में संशोधित भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत मुआवजा देने की मांग को लेकर 'जमीन समाधि सत्याग्रह' आंदोलन कर रहे हैं।
इससे पहले भी किसानों द्वारा जनवरी में आंदोलन किया गया था, लेकिन मुख्य सचेतक महेश जोशी के हस्तक्षेप के बाद स्थगित कर दिया गया था। वहीं, नींदड़ बचाओ किसान संघर्ष समिति के नेता नागेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया।
जानकारी के अनुसार शहर की बढ़ती आबादी को कम करने के लिए साल 2010 में जयपुर विकास प्राधिकरण ने नींदड़ गांव में आवासीय कॉलोनी बसाने के लिए किसानों की जमीन को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया को शुरू किया था। 2013 में जमीन आवंटित कर दी गई। ये कॉलोनी 1300 बीघा जमीन पर प्रस्तावित है।
इसके बाद किसानों ने अपने स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। साल 2017 में नींदड़ बचाओ समिति ने अधिग्रहण को निरस्त करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की और आंदोलन की शुरुआत की।
वहीं, हाईकोर्ट ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को सही ठहराया। इसके बाद किसान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, वहां भी फैसला जेडीए के पक्ष में गया। अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने दो अक्तूबर 2017 को पहली बार भूमि समाधि ली। यह आंदोलन 44 दिन तक चला। तब तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने आपसी सहमति की बात करते हुए राजीनामा किया था।