इसके लिए अलग-अलग ग्रुप बनाए गए हैं। एक ग्रुप का समय बीत जाने के बाद दूसरा ग्रुप अपनी जिम्मेदारी संभाल लेता है। इस क्रम में पूरी कॉलोनी की सुरक्षा हो रही है। एक स्थानीय की चिंता है कि अगर उनकी कॉलोनी में दूसरे समुदाय के लोगों को कुछ भी हो जाएगा, तो उनकी कॉलोनी के ऊपर दंगों का दाग लग जाएगा। इससे बचने की कोशिशें लगातार जारी हैं।
करावल नगर का क्षेत्र इन दंगों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इसके कई इलाकों में भयंकर आगजनी और लूटपाट हुई है। कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। इससे सटे खुरेंजी के इलाके में भी दंगों की जोरदार तपिश महसूस की गई। सिग्नेचर पार्क जाने वाले चौराहे पर एक समुदाय विशेष के युवक की हत्या से माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया था।
लेकिन इस तनाव के बीच भी स्थानीय लोगों ने आपस में मिलकर एक-दूसरे समुदाय के लोगों की जान बचाई। यहां रहमा्नी मस्जिद के पास ही एक सनातन धर्म का मंदिर भी बना है। लेकिन किसी भी धर्मस्थल को कोई आंच नहीं आने दी गई।
लकड़ी का बाड़ बनाकर कालोनी की सुरक्षा
खुरेंजी की श्रीराम कालोनी में हजारों की संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के मकान हैं। अनेक कालोनियां बनी हैं और सबके मुख्य निकास दिल्ली-यूपी जाने वाली रोड पर लिंक हैं। लेकिन किसी भी कालोनी में गेट नहीं बनाया गया है।
स्थानीय एहसान अहमद (40 वर्ष) ने बताया कि उनकी किसी भी कॉलोनी में गेट न होने से किसी के कभी भी घुस आने की आशंका बनी रहती है। इसीलिए सभी लोग चौकन्ने हैं और रात के समय जाग-जाग कर पहरे दे रहे हैं।
दूसरे समुदाय के लोगों को बचाना भी चुनौती
एहसान अहमद के मुताबिक उनकी चिंता केवल अपने को बचाने तक सीमित नहीं है। उनकी कालोनी में कुछ मकान हिंदुओं के भी हैं। अगर उन्हें यह चिंता है कि रात में बाहर से आकर कोई उपद्रवी हिंसा कर देता है, तो पूरी कॉलोनी बदनाम हो जाएगी। ऐसे में वे न सिर्फ अपने घरों की सुरक्षा कर रहे हैं, बल्कि वे दूसरे समुदाय के लोगों को भी बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
दूसरे समुदाय के लोगों के घर जा-जाकर उनके खाने-पीने की व्यवस्था चेक कर रहे हैं। इसके लिए अमन कमेटियों की भी मदद ली जा रही है, जिसमें उनके भाई एक सक्रिय सदस्य हैं। इन लोगों ने दंगों से पीड़ित समाज के बीच एक आदर्श प्रस्तुत किया है।
ड्रोन से निगरानी में भी कर रहे मदद
दिल्ली पुलिस संवेदनशील इलाकों में ड्रोन कैमरों से नजर रख रही है। किसी मकान के ऊपर पत्थर-ईंटें रखे होने की आशंका को टाला जा सके, इसके लिए समय-समय पर ड्रोन कैमरों से रिकॉर्डिंग कराई जा रही है। स्थानीय लोगों में कुछ इसे शंका की नजर से देख रहे हैं, लेकिन कुछ लोग सुरक्षा के लिए इसे जरूरी समझ इसमें सहयोग भी कर रहे हैं।